cycle.in - हिन्दू धर्म के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नर्क चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) कहा जाता है। इसे कहीं कहीं चौदस भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। कहते हैं कि यह एक बहुत ही भयानक युद्ध था जो त्रयोदशी की पूरी रात चला और चतुर्दशी तिथि की दोपहर जाकर समाप्त हुआ । युद्ध में भगवान श्री कृष्ण को विजय की प्राप्ति हुई थी।
इतना ही नहीं उन्होंने उस भयंकर राक्षस के चंगुल में फंसी हुई सोलह हजार स्त्रियों को भी मुक्त कराया। कहते हैं कि चूंकि वे स्त्रियां अब कहीं भी शरण नहीं ले सकती थीं इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने उनसे विवाह करके मर्यादित रूप से अपने यहां आसरा दिया। और इस दिन को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के नाम से जाना जाने लगा ।
ऐसा भी मानते हैं कि उस असुर को मारने के लिए ही ये श्री कृष्ण की एक लीला थी। वे सभी सोलह हजार स्त्रियां श्री कृष्ण की सोलह हजार शक्तियां थीं जिनके कारण ही भगवान श्री कृष्ण उस राक्षस का वध करने में सफल हुए।
नर्क चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) कैसे मनाते है
इस दिन दोपहर तक का उपवास रखने को कहा जाता है क्योंकि आसुरी प्रभाव ज्यादा रहता है उस समय। रात्रि में दीपक जलाकर उत्सव मनाने का विधान है। दीपावली से एक दिन पहले इस रात्रि को दीपदान करने के कारण इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है।
ऐसा मानते हैं कि इस दिन चौदह दीए
इस दिन तेल अवश्य लगाना चाहिए। कहते हैं कि इस दिन चिचड़ी की पत्तियों को , जिसे अपामार्ग भी कहा जाता है उसे पानी में डालकर नहाने से नर्क से छुटकारा मिलता है। फिर भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
श्री कृष्ण पूजन सामिग्री - अगरबत्ती , कपूर , केसर ,
इस दिन कार्तिक मास (kartik mass) की घोर अमावस रात्रि के कारण चारों तरफ नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव रहता है इसलिए ढेरों दीपक जलाए जाने चाहिए। इससे वातावरण शुद्ध बनता है और छोटे छोटे अनेकों कीड़ों मकोड़ों का नाश भी हो जाता है।
नर्क चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) तिथि और समय
कार्तिक मास की चतुर्दशी को नर्क चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) मनाई जाती है जो कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 30 अक्टूबर को दोपहर 01:15 मिनट पर शुरू हो जायगी और 31 अक्टूबर को दोपहर 03:52 तक रहेगी ।
नरक चतुर्दशी के दिये 30 अक्टूबर की शाम को ही जलाये जायँगे।
सूर्यास्त होने के बाद प्रदोष के समय यम के दीपक जलाकर